मनचलियों का मन बहलाने का फोन नम्बर है 101

यदि आप आशिक मिजाज, दिलफेक आशिक हैं या मजनूओं की लाइन में सहर्ष खड़े होना चाहते हैं, तो समझ लीजिए आपके इंतजार की घड़ियाँ खत्म हो गईं. जी हाँ नहाधोकर सुन्दर कपड़े पहन कर क्रीम-पाउडर लगाकर पहँुच जाइए राँची के आड्रे हाउस स्थित एवं नेपाल हाउस स्थित फायर ब्रिगेड (आग बुझाने का कार्यालय) आफिस वहाँ पर फोन नम्बर 101 के पास बैठ जाइए और फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों से थोड़ी विनती कीजिए यदि वे आप पर तरस खाकर आप पर मेहरवान हो गये, तो समझिए आपके वारे-न्यारे हो गये. बस 101 नम्बर के फोन की घंटियाँ बजते ही उसे आप उठा ले. फिर मजे ही मजे हैं. आप को दूसरी ओर से मदमस्त करने वाली खनकती हुई आवाजें सुनाई देंगी. मनचली लड़कियों एवं लड़कों की जो आपके कान में अपने मधुर-मधुर स्वरों का रस घोलेंगे. अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन लड़के, लड़कियों से दोस्ती करेंगे या उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे. यदि आप फोन करने वाली मनचलियों और मनचलों से दोस्ती करना चाहेंगे, तो बात आगे भी बढ़ सकती हैं. और यदि आप उनके रस भरे वार्तालाप अथवा अश्लील बातों का विरोध करेंगे, तो आप को भद्दी-भद्दी गालियाँ भी मिलेंगी. प्रायः 101 नम्बर पर लोग शहर, गाँव, महल्लों, घरों आदि में आग लग जाने पर सहायता के लिए फोन करतें हैं. और सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड के जाँबाज सिपाही अपनी जान पर खेल कर दमकल के साथ निकल पड़ते हैं आग बुझाने के लिए. और साहस और सूझ-बूझ के साथ आग पर काबू पाने की कोशिश करते हैं. अक्सर इनकी कोशिशों एवं कर्तव्यों की वजह से बड़े-बड़े हादसों को टाला जाता है. पर बड़े ही दुख की बात है कि ऐसे कर्तव्यनिष्ट ईमानदार अग्निशामक कर्मचारियों के दिलों में कुछ मनचलें युवक, युवतियाँ अपनी दिल्लगी और चूहलबाजियों की खातिर आग लगा रहे हैं. ऐसे गैर जिम्मेदार युवकों एवं युवतियों की खातिर फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को बेवजह मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है. वे बेचारे चाह कर 101 नम्बर के फोन के काॅल नजरअंदाज नहीं सकते कि क्या पता कहीं किसी जरूरतमंद का ही फोन हो. उन्हें101 नम्बर को उठाना ही पड़ता है और वे बेचारे बेवजह पड़ेशान होते हैं. ज्ञातव्य है कि पुरे देश में 101 नम्बर फायर ब्रिगेड के लिए आवंटित है, जो कि एक टोल फ्री नम्बर है अर्थात् इस नम्बर पर फोन करने से कोई शुल्क नहीं लगता है. इसी का लाभ हमारे तथाकथित शिक्षित समाज के कुछ बिगडै़ल आवारा बदमिजाज लोग उठाते हैं और यहाँ अश्लील बातें करते हैं. यदि फायर ब्रिगेड के कर्मचारी इनका प्रतिकार करते हैं, तो ऐसे बदमाश युवक उनको भद्दी-भद्दी गालियाँ देने से भी नहीं हिचकते. ऐसे मनचले युवक-युवतियों के फोन सुबह से लेकर देर रात तक किसी भी समय आ सकते हैं. बेशर्मी और बेहयाई से भरी इनकी बातें होती हैं. लड़कियों के फोन प्रायः देर रात में अधिक आते हैं, जिनकी बातें भी अश्लील होती हैं. ये बाते आश्चर्यजनक हैं, पर सत्य हैं. ऐसी घटनाएँ हमारे समाज की गिरती मानसिकता की द्योतक हों या फिर पश्चिमी सम्यता की अंधी नकल पर इनसे समाज की नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह तो लगता ही है साथ ही साथ सच्चे ईमानदार कर्तव्यनिष्ट लोगों को बेवजह परेशानी भी उठानी पड़ती है. और जो सबसे बड़ी सोचने वाली बात है वह यह है कि ऐसे गैरजिम्मेदाराना हरकतों से हम आने वाली पीढ़ी को क्या शिक्षा देंगे. ऐसे गैरजिम्मेदाराना एवं अश्लील हरकतों की रोकथाम के लिए संबंधित अधिकारियों के द्वारा कोई ठोस कार्यवाई नहीं की गयी है. शिकायत करने पर केवल एक आई डी काॅलर लगा दिया गया है, किन्तु इससे इस विभाग को कोई फायदा नहीं हो रहा है. फोन करने वाले मनचले समझाने पर असमाजिक तत्वों की भाँति पेश आते हैं. इन्हें अपने गुस्ताखी का एहसास भी नहीं है.ऐसे मनचलों ने 101 नम्बर को मजाक बना कर रख दिया है. ऐसी अश्लील हरकतों को करने वाले को सोचना चाहिए कि 101 नम्बर समाज की भलाई के लिए है. यह एक आपातकालीन व्यवस्था है. इसे मजाक के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. यह जनसमुदाय की सेवा हेतु उपलब्ध कराया गया है. ऐसी मनचली, मनचली को ऐसे गैरजिम्मेदाराना हरकतों से बाज आना चाहिए. यदि संबंधित अधिकारी अथवा लोग इनके बिरूद्ध कार्रवाई पर अड़ जाएंगे, तो इनकी क्या हालत हो जाएगी. ऐसे गलत कार्य को बंद करना समाज के लिए अतिआवश्यक है.

पाण्डेय एस कुमार


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